29-01-77   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

मधुबन की महिमा

नॉलेजफुल, निराकारी, निर्विकारी बाबा मधुबन निवासी बच्चों से बोले :-

सभी सदा खुश हो ना? जो तीनों कालों के राज़ को जान गए तो राज़ी हो गए हो ना? कभी भी कोई नाराज़ होता है अर्थात् ड्रामा के राज़ को भूल जाता है। जो सदा ड्रामा के राज़ को और तीनों कालों को जानता है तो वह राज़ी रहेगा ना। नाराज़ होने का कारण राज़ को नहीं जानना है। तीनों कालों के ज्ञाता बनने वाले को ‘त्रिकालदर्शी’ कहा जाता है। वह सदा राज़ी और खुश रहता है। मधुबन निवासी अर्थात् सदा खुश और राज़ी रहने वाले। दूसरे से नाराज़ होना अर्थात् अपने को राज़ जानने की स्टेज से नीचे ले आना। तख्त छोड़ कर नीचे आते हो तब नाराज़ होते हो। त्रिकालदर्शी अर्थात् नॉलेजफुल (Knowledgeful) नॉलेजफुल की स्टेज एक तख्त है, ऊँचाई है। जब इस तख्त को छोड़कर नीचे आते हो तब नाराज़ होते हो। जैसा स्थान वैसी स्थिति होनी चाहिए। 

मधुबन को स्वर्ग भूमि कहते हो ना! यह तो मानते हो मधुबन स्वर्ग का माडल (Model) है तो स्वर्ग में माया आती है क्या? इसकी भी अविद्या होनी चाहिए कि माया क्या है। स्वर्ग में माया का ज्ञान नहीं होता है। इस भूमि को साधारण समझने के कारण माया आती है। मधुबन वरदान भूमि को साधारण स्थान नहीं समझो। मधुबन की स्मृति भी समर्थी दिलाती है। मधुबन में रहने वाले ‘फरिश्ते’ होने चाहिए। मधुबन की महिमा अर्थात् मधुबन निवासियों की महिमा। मधुबन की दीवारों की महिमा तो नहीं है ना! मधुबन निवासियों को सारी दुनिया किस नज़र से देखती है; विश्व अब तक भी याद के रूप में कितनी ऊँची नज़र से देखती, भक्त भी मधुबन निवासियों के गुणगान करते हैं। ब्राह्मण परिवार भी ऊँची नज़र से देखता है। अगर आपकी भी इतनी ऊँची नज़र हो तो फरिश्ता तो हो ही गए ना? 

मधुबन निवासी ‘यज्ञ निवासी’ भी कहे जाते हैं। यज्ञ में रहने वालों को अपनी आहुति डालनी है। तब फिर दूसरे फालो (Follow) करेंगे। यादगार के यज्ञ में भी आहुति सफल तब होती हैं, जब मन्त्र जपते हैं। यहाँ भी सदा मन्मनाभव मन्त्र स्मृति में रहे तब आहुति सफल होती है। मधुबन निवासी तो निरन्तर मन्त्र में स्थित होने वाले हैं। सिर्फ बोलने वाले नहीं, लेकिन मन्त्रस्वरूप हो। अभी तो बाप ने रियलाईजेशन कोर्स (REALIZATION Course;अनुभूति करना) दिया है तो अपने को रियलाईजेशन कर चेंज किया? सभी ठीक हैं? कोई ठीक कहता है तो बाप-दादा तो कहते हैं - मुख में गुलाब। कहने से भी ठीक हो ही जायेगा। कमी को बार-बार सोचने से कमी रह जाती है। कमी को देखते खत्म करते जाओ। चैक करने के साथ-साथ चेंज भी करो। कोई कमाल करके दिखाना है ना? इतने समय में जितना भी साथ मिला, कमाल की। कोई ऐसा काम जो कमाल का गाया जाए, या करते हुए भी भूल जाते हो? अपने को सदा गुणमूर्त्त देखते ऊँची स्टेज पर स्थित रहते रहो। नीचे नहीं आओ। सुनाया था ना कि जो रॉयल फैमली (ROYAL Family;उच्च परिवार) के बच्चे होते हैं वह कब धरती पर, मिट्टी पर पांव नहीं रखेंगे। यहाँ देह-भान मिट्टी है, इसमें नीचे नहीं आओ। इस मिट्टी से सदा दूर रहो। संकल्प से भी देहाभिमान में आए अर्थात् मिट्टी में पांव रखा। वाचा, कर्मणा में आना अर्थात् मिट्टी खा ली। रॉयल फैमली के बच्चे कभी मिट्टी नहीं खाते। सदा स्मृति में रहो कि ऊँचे से ऊँचे बाप के ऊँची स्टेज वाले बच्चे हैं तो नीचे नज़र नहीं आएगी। पुरानापन तो स्वप्न से भी खत्म कर देना है। जो योगी तू आत्मा, ज्ञानी तू आत्मा होगा उनका स्वप्न भी नई दुनिया, नई जीवन का होगा। जब स्वप्न ही बदल गया तो संकल्प की बात ही नहीं। मधुबन निवासियों के स्वप्न भी श्रेष्ठ। बाप-दादा भी उसी नज़र से देखते हैं। मधुबन निवासी नाम की महिमा है जो अन्त समय तक भी, नामधारी (वृन्दावन, मधुबन) सिर्फ नामपर अपना शरीर निर्वाह करते रहते हैं। नाम की इतनी महिमा है, तो मधुबन निवासियों का नाम ही महान है। जब नाम की इतनी महिमा है तो स्वयं स्वरूप की क्या होगी? अच्छा, सभी सन्तुष्ट तो हो ही, अच्छा।